Posts

Showing posts from 2019

नवरात्रि कविता...

आज जय माता दी के नारों से गुंजित धरती गगन हो रहा है । सुगंधित है वातावरण और पुलकित सब का मन हो रहा है । खूब सजा है दरबार और दीपों से जगमग ये भवन हो रहा है । आज इस पावन घड़ी मेरे आंगन मेरी मां का आगमन हो रहा है । ~वीर आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं ।

याद, इश्क शायरी

1. याद ऐसा नहीं है उसे मेरी याद आती ही होगी, आती भी होगी, सताती भी होगी, फिर वो अपने दिल को समझाती भी होगी, सच जानकर भी मुझे बुरा आदमी बताती भी होगी ।। वीर 2. इश्क शायरी... तेरी दिल की थाह से हम अनजाने बहुत हैं, गर रास्ता है नया, मुसाफ़िर हम पुराने बहुत हैं, हम वर्दी वालों का काम है हिफाजत करना, सुना है तेरे वीरान महल में खजाने बहुत हैं ।। ~वीर 3. तुझे गुरूर इस बात का कि तेरे दीवाने बहुत हैं, पर वो हमारी बेपनाह चाहत से अनजाने बहुत हैं, तेरे दिल में मैं अपने दिल का घर बना बैठा हूं, वरना अपने दिल के भी दुनिया में ठिकाने बहुत हैं ।। ~वीर 4. तुम्हारे रंगीन दिल के कोने वीराने बहुत हैं । मगर दिल में प्यार के लिए तराने बहुत हैं । एक दास्तान बिठा दूंगा दिल के कोनों में, हमने दास्तानों के बाजार छाने बहुत हैं । ~वीर 5.  तूं ही मेरी मोहब्बत है, तूं इस दिल की राहत है, तूं मेरी जरूरत है, तुझसे बेपनाह चाहत है, तूं ही मेरी इबादत है, दिल में लिखी इक इबारत है, तुझसे मेरी हर शरारत है, तूं ही मेरा ठंडा शरबत है, हां तूं ही मेरी म...

रक्षाबंधन कविता...

Image
1. भाई की कलाई में बहन ने बांधा प्यार । भाई ने दे दिया सदा रक्षा का उपहार । आज का दिन है लाया है पावन बहार । आओ मिलकर मनाएं राखी का त्यौहार । ~वीर 2. ये राखी ज्यों- ज्यों पास आ रही है । घर की याद बढ़ती जा रही है । याद उस पल की जब भाई बहन हम लड़ते थे । याद उस पल की जब एक ही स्कूल में पढ़ते थे । वो रोज मेरी शिकायत घर में दर्ज कराती थी । जब मुझे डांट पड़ती तो वो मुस्कुराती थी । पर पिटने की बारी आते ही मुझे बचाती थी । और बाद में वो चिड़ाकर एहसान जताती थी । हाथ पकड़ राखी के दिन वो राखी तेज कसाती थी । लड्डू खाने से पहले वो डटकर पैसे मंगाती थी । मां के दिए चार पेडो में दो ही मुझे खिलाती थी । बड़ी बहन और छोटी सब ऐसे ही प्यार जताती थी । जब से घर से निकला हूं  कुछ अलग ही प्यार रहता है । अब तो मेरे घर आने का सबको ही इंतजार रहता है । न पैसों की फुरसत रहती, न वो लड्डू की चोरी । अब दो दिन को ही मिलतीं है प्यारी सी बहने मोरी । ~ वीर

दो लाइनर

Image
1. किसी की चुप्पी से किसी का शोर पल रहा है। हमारे यहां तो परीक्षाओं का दौर चल रहा है । @MCBU Chhatarpur 2. हम मिले दिल खिले, मन भरा उल्लास । तुमसे मिलकर यूं लगा, मिटगई अंखियों की प्यास । वीर 3. खुद को रोक नहीं पाता हूं उन्हें सलाम करने में । इक नहीं सोचा जिन्होंने जान को वतन व वन के नाम करने में । वीर 4. नौकरी में घूमना फिरना एक काम बन गया है और इसी ज्यादा घूमने फिरने से जुकाम बन गया है वीर 5. ये प्यार भी अजीब है साला, जब तक हो नहीं तो इसके बिना मन नहीं मानता, जब हो गया तो उसके बिन दिल नहीं मानता ।। 6. आपके प्यार में ये दिल हो बैचेन है घुमड़ता । खैर जाने दीजिए आपको कोई फर्क नहीं पड़ता । 7. वह मेरे बिन न जीने का बोल रही, कहीं मैं हवा तो नहीं, कहती है उस पर मेरा असर हो रहा, कहीं मैं दवा तो नहीं । 8. कितने मतलबी हो गए हैं लोग, कोई खैरियत भी नहीं पूछता । एक हम हैं जिसे उनके बिना कुछ नहीं सूझता । 9. कुछ लोग हर बात का मतलब ढूंढ कमाल करने लगते हैं, वो दिल की मुहब्बत में दिमाग इस्तेमाल करने लगते हैं । 🙃🙃 ...

दास्तान ए मोहब्बत

किसी की मोहब्बत की दास्तान... नजर के खेल में इक कहानी मिली । देखते यूं लगा क्या निशानी मिली । सम्भलता सा बदन, संतरी सूट में । केश कर दें निशा, रंग में चांदी खिली । 1 सस्ती सी इक घड़ी हाथ उसके पड़ी । चेहरे में हां बड़ी सादगी थी जड़ी । बोलने में अजब की चहक थी छुपी । हंसने पर यूं लगे कि खिले फुलझड़ी । 2 दोपहर वक्त था धूप छाई कड़ी । तभी उसकी नज़र आन मुझ पर पड़ी । पलक उसकी झुकी देखते ही मुझे, फिर पुनः जब उठी, उससे नज़रें लड़ीं ‌। 3 फिर उन नजरों का जादू था छा सा गया । उसकी नज़रों को शायद मैं भा सा गया । दिल में उसकी छवि यूं थी छप सी गई, कि अपने घर लौट आना रुला सा गया । 4 उसकी यादों ने अब तंग कर सा रखा । नींद चैन और सुकूं भंग कर सा रखा । ख्वाब दिल को थे हरपल परेशां किए, इश्क ने क्यों ये हुड़दंग कर सा रखा । 5 शशि मेघा की गोद जाके छिपने लगा । उसके नामों से पत्र खुद को लिखने लगा । उन सवालों के खुद फिर जवाब दिये, उसका चेहरा किताबों में दिखने लगा । 6 उसकी यादों ने दिल पर था भार किया । चित्र चित में सजा के इंतजार किया । सुबह औ शाम भी न सु...

पहली बारिश...

जी नहीं माना... अम्बर से उतर कर अवनी में पहली बारिश जब आई तो, उन बूंदों को निज हाथों से सहलाए बिना, जी नहीं माना । बूंदों के संग चली पवन जब तरुओं को लिपटाती तो, हाथ पसार कर उस हवा से टकराए बिना, जी नहीं माना । मौसम की पहली बारिश में जब मिट्टी से सोंधी महक उठी । उस मिट्टी की भीनी खुशबू में, घुल जाए बिना, जी नहीं माना । परिवेश नहाकर नवल हुआ, हर्षित पुलकित सा लगता तो खुद का भी अंतर्मन धोकर, मुस्काए बिना, जी नहीं माना । ~वीर

विवाह शुभकामनाएं....

रही तमन्ना जिसकी अब तक , तुम्हें आज वो खास मिला । पावन मधुर मिलन बेला में ..1 नाम.. को आज ..2 नाम.. मिला । वीर दुआ कर बंधन में, भरपूर सदा उल्लास रहे । साथ जनम के वचनों का अमर सदा विश्वास रहे । मेरी दुआ है कि आपका प्रणय बंधन तथा दाम्पत्य जीवन सदैव पुष्पित पल्लवित रहे । तथा आप अपने नए संसार सागर की जिम्मेदारियों एवं कर्तव्यों का सत्यनिष्ठा के साथ निर्वहन करें । आपकी जीवन के दूसरे पहलू की यात्रा मंगलमय हो । शुभकामनाओं के साथ । ~वीर

पृथ्वी दिवस विशेष...

1. ये वसुधा जगत जननी सकल पालनहार है । इसकी शुभ गोद में जीवन का आधार है । इससे ही पाते सब जल और आहार है । है जानते इससे सकल जग का उद्धार है । ये मां है जो बरसाती ममता अपार है । कुछ दैत्य फिर भी इसपे करते प्रहार है । फिर भी ये तजे नहीं मां का सदाचार है । सच में धरती मां की महिमा अपरम्पार है । ~वीर 2. मां वसुंधरा है समदर्शी, सब प्राणी इसके चहेते हैं । जल-जन्तु-जीव-पेड़-पक्षी, आदि सब इसके बेटे हैं । ये मां है जो हम सब बेटों को, गोद में अपनी समेटे है । धन्य है हम जो हरित गोद में, सुखद शांति से लेटे हैं । हरियाली है गहना इसका, इससे सब संसारा है । मनुज ही हैं वो रावण जिसने इन वृक्षों को मारा है । जंगल से ही जल पाएं हम, जल जीवन आधारा है । क्यों लालच करके हमने निज मां का गोद उजारा है । मां का आंचल रक्षित करने, मां ने हमें पुकारा है । गर न हो ये वन और नदियां, न अस्तित्व हमारा है । नहीं कोई ग्रह धरती मां सम, केवल एक सहारा है । वृक्ष लगा वसुधा को बचाएं, यह कर्तव्य हमारा है । ~ वीर । विश्व पृथ्वी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।

मकरसंक्रांति, गणतंत्र दिवस, ब्रदर्स डे, स्वतंत्रता दिवस

मेरे मुक्तक...  मुक्तक जो तिल में गुड़ मिले तो, जुड़कर लड्डू एक करते हैं । इसी की मिठास को लेकर, कर्म कुछ नेक करते हैं । यही उर भाव लेकर कुण्ड में डुबकी लगाते हैं, चलो मिल एक हो संक्रांति का अभिषेक करते हैं । गणतंत्र दिवस... सब खुशी नागरिक हो, मेरे देश में । पालन विधियों का हो, हरइक प्रदेश में ‌‌। हो अमन ये चमन, और शांति रहे । बहे महकती पवन, इसके परिवेश में । अनुशासन सदा सबका परिधान हो, जय जवान जय किसान औ जय विज्ञान हो । किसी दिल में रहे न क्लेश यहां , वीर मांगे विधाता ये वरदान दो । ~वीर ब्रदर्स डे... अभी तक हर रोज भाईयों को याद किया जाता रहा । हर पल उनकी याद में जिया जाता रहा । लेकिन लोगों ने इस मुसीबत से भी छुटकारा पा लिया, और साल में एक दिन ब्रदर्स डे भी मना लिया । (एक दिन याद करो, साल भर के लिए फुरसत) 😄😄 वीर😄😄 24 मई ब्रदर्स डे विशेष स्वतंत्र  स्वतंत्र हो अभाव से, स्वतंत्र हो स्वभाव से । स्वतंत्र हो प्रभाव से, स्वतंत्र हो दबाव से । स्वतंत्र हो आचार से, स्वतंत्र हो विचार से । स्वतंत्र हो अहार से, स्वत...

माफी, मेरा जन्मदिन, युवा दिवस

मेरे कुछ मुक्तक... माफी मेरी सारी गल्तियों को माफ करना मित्र, बीता हुआ भूलकर दिल साफ करना मित्र, हम तो माफी माँगने के काबिल भी नहीं है, आप ही छोटा समझकर माफ करना मित्र । वीर वन विद्यालय शिवपुरी... जन्मदिन विशेष है धन्यवाद उनको जो, लहर खुशी की लाए ।  था उनको आलस्य, या हिय से थे हर्षाए । था नींद का कहर , या खुद को रोक न पाए । कि जन्मदिवस भी वक्त से पहले सभी मनाए । युवा दिवस मिलाकर वेद और विज्ञान, अब विद्वान‌ होना है । हमारे वेद वो उरजा, जिनसे विज्ञान सोना है । जरूरी है हमें विज्ञान, ये स्वीकार करते हैं । स्वयं को साधने बावत यहां पुरुषार्थ बोना है । अखिल बदलाव की शक्ति सदा ख़ुद में संजोना है । भटकने और भटकाने का, ये दुर्भाव  घिनौना  है । रखो उम्मीद पाने लक्ष्य, पर हो धैर्य भी वीरों । युवाओं जोश में रहना है पर न होश खोना है ।

नारी सशक्तीकरण महिमा

चार नारियों को जीवन में, जिस नर ने भी नमन किया | उस नर ने जीवन की अपने, सार्थकता पर अमल किया | इक नार है वो निज कोख से जो, तुमको धरनी पे जनम दिया | इक नार है वो जो साथ में जन्मी, साथ में ही कृंदन किया | इक नार है वो जिसने धरनी पर, तुम्हरे खातिर जनम लिया| इक नार है वो जो अंश तुम्हारी, बनकर तुमको सफल किया |

दिल्ली पब्लिक स्कूल बस दुर्घटना

 मासूमों को श्रद्धांजली Jan 06, 2018 06:00 😥उनकी माँ ने भी कितने सपने गढ़े होंगे | पिता उनके लिए किस-किस से लड़े होंगे | वो भी कुछ करने को अड़े होंगे | उसी की ताक में वे बस में चढ़े होंगे | कुछ आशादीप बनकर आए थे जमीं पर, किसने सोचा था कि यूँ बुझकर, आँख बंद किए वो पड़े होंगे | 😥😪 वीर

पद्मावत पर प्रतिक्रिया

Untitled Jan 29, 2018 11:15 सदा रहेगा मेवाड़ की धरा का सम्मान | धन्य है #मेवाड़ी-राजपूती आन, बान, शान | धन्य है #माँ_पद्मिनी का गौरव & स्वाभिमान | धन्य है #राजपूती_वीरों का अतुल बलिदान | धन्य है पूज्यनीय #महाराजा_रावल_रतनसिंह, अतुल शौर्य पराक्रम, जो #उसूलों_पे_कुर्बान | धन्य है #महावीर_गौरा-बादल की स्वामिभक्ति, जिनके शौर्य पराक्रम का न कर सकें बखान |

वो अबला क्यों ?

मेरी कलम से... Nov 05, 2017 06:00 ज़रा सोचिए... Veer ~ The Winner जब कोई हमारा अपना, खुद की जिंदगी के फैसले बिना हमारी सहमति के कोई फैसला लेता है, तो हमें कितना बुरा लगता है, गुस्सा आता है | परंतु क्या आपने कभी सोचा ??? कि जब हम हमारे किसी अपने की जिंदगी के फैसले, बिना उसकी सहमति के लेते हैं तो उसे कितना बुरा लगता होगा, कितना गुस्सा आता होगा | अगर कोई गलती करता है तो उसे सजा देनी चाहिए, या गलती सुधारने का अवसर | कम से कम एक बार तो गलती सुधारने का अवसर देना चाहिए... कम से कम ऐसी सजा तो न देनी चाहिए कि वो गलती सुधार ही न सके | यहाँ मैं दुनिया की उस आधी आबादी के संदर्भ में बात कर रहा हूँ जिसे आज भी अपनी जिंदगी के बारे में निर्णय लेने की आजादी नहीं है | Veer ~ The Winner

जन्मदिन, प्रेरणास्रोत, गांव की महिमा

मेरे मुक्तक काव्य 1. जन्मदिन काव्य आप है चांद वो जो सितारे गढ़े । लिखो वो इबारत जो दुनिया पढ़े । वीर करता मुबारक जन्मदिन तुम्हें । आप की ख्याति जन्मों जनम तक बढ़े । वीर 2. प्रेरणा दायक... दीपक के संघर्ष से उसकी ज्योत है, वो परहित की भावना से ओतप्रोत है, हम क्यों तलाशें काल्पनिक किरदार जग मे, जब सम्मुख आप जैसे प्रेरणास्रोत हैं । वीर 3. गांव की महिमा... मेरा गांव मुझे बहुत भाता है ।  क्योंकि यहां दिखावा नहीं आता है ।  शहरी अपनी 1 लाख की बुलेट पर इतराता है,  मेरा गांव 10 लाख के ट्रैक्टर में चारा लाता है । 4. शहर की छांव मुझको सताती रही, गांव की शाम मुझको बुलाती रही । चांद की धूप मुझको जगाती रही, थपकियां दे दे निंदिया सुलाती रही । ~वीर 5. प्रेरणा दायक... ये दुनिया तुझमें रुसवाई कितनी है ? ओ समुन्दर तेरी गहराई कितनी है ? ये वीर सारी हदें पार करने की जिद पर है , ये आसमां बता तेरी ऊंचाई कितनी है ? ~वीर #VeerTheWinner

दशहरा...

1. तजकर नफरतें दिल से, परचम-ए-प्रीत लहराएं । लगाकर शत्रु को सीने, चलो अब मीत हो जाएं । दमनकर जग में कुंठा, ईर्ष्या, और आज के रावण । बनकर वीर अच्छे की, बुरे पर जीत करवाएं । वीर

ऐसे हम हैं

नरम भी हैं हम, और गरम भी हैं हम । भाग्य भी हैं हम, और करम भी हैं हम । चोट भी करते हैं, पर मरहम भी हैं हम । लाज भी रखते हैं, पर बेशरम भी हैं हम । हद जो पार की , तो बेरहम भी हैं हम । सच जो दबे अगर, तो भरम भी हैं हम । सीमित रहते हैं, मगर चरम भी हैं हम । हम वीर हैं, धीर हैं, और धरम भी हैं हम ।                   ~वीर

मेरे मुक्तक ....2

मुक्तक काव्य 2. चाहो बचना अगर सांच के अकाल से । मन प्रतिज्ञा धरो सब अभी हाल से । हो हमारा करम सत्य के साथ में , कुछ नया हम करें इस नए साल से । 3. नया है पल, और नया है कल, और नया आज कहलाएगा | पल पल के गुजरे के जाने से फिर, नया कैलेण्डर आएगा | इक पल गया, दो पल गए, कुछ पल गए और साल गया | पल पल के मिलने से ये कल, इक पल की कीमत सिखा गया | 4. आजकल बैठकर नहीं दिल बहलते हैं । जिसको देखने को पल पल मचलते हैं । वो भी अपने घर से कम निकलते हैं । छोड़ो यार चलो इतिहास में चलते हैं ।