रक्षाबंधन कविता...
1.
भाई की कलाई में बहन ने बांधा प्यार ।
भाई ने दे दिया सदा रक्षा का उपहार ।
आज का दिन है लाया है पावन बहार ।
आओ मिलकर मनाएं राखी का त्यौहार ।
~वीर
2.
ये राखी ज्यों- ज्यों पास आ रही है ।
घर की याद बढ़ती जा रही है ।
याद उस पल की जब भाई बहन हम लड़ते थे ।
याद उस पल की जब एक ही स्कूल में पढ़ते थे ।
वो रोज मेरी शिकायत घर में दर्ज कराती थी ।
जब मुझे डांट पड़ती तो वो मुस्कुराती थी ।
पर पिटने की बारी आते ही मुझे बचाती थी ।
और बाद में वो चिड़ाकर एहसान जताती थी ।
हाथ पकड़ राखी के दिन वो राखी तेज कसाती थी ।
लड्डू खाने से पहले वो डटकर पैसे मंगाती थी ।
मां के दिए चार पेडो में दो ही मुझे खिलाती थी ।
बड़ी बहन और छोटी सब ऐसे ही प्यार जताती थी ।
जब से घर से निकला हूं कुछ अलग ही प्यार रहता है ।
अब तो मेरे घर आने का सबको ही इंतजार रहता है ।
न पैसों की फुरसत रहती, न वो लड्डू की चोरी ।
अब दो दिन को ही मिलतीं है प्यारी सी बहने मोरी ।
~ वीर
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