ऐसे हम हैं



नरम भी हैं हम, और गरम भी हैं हम ।
भाग्य भी हैं हम, और करम भी हैं हम ।
चोट भी करते हैं, पर मरहम भी हैं हम ।
लाज भी रखते हैं, पर बेशरम भी हैं हम ।
हद जो पार की , तो बेरहम भी हैं हम ।
सच जो दबे अगर, तो भरम भी हैं हम ।
सीमित रहते हैं, मगर चरम भी हैं हम ।
हम वीर हैं, धीर हैं, और धरम भी हैं हम ।
                  ~वीर

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