मेरे मुक्तक ....2

मुक्तक काव्य



2.

चाहो बचना अगर सांच के अकाल से ।
मन प्रतिज्ञा धरो सब अभी हाल से ।
हो हमारा करम सत्य के साथ में ,
कुछ नया हम करें इस नए साल से ।

3.

नया है पल, और नया है कल, और नया आज कहलाएगा |
पल पल के गुजरे के जाने से फिर, नया कैलेण्डर आएगा |
इक पल गया, दो पल गए, कुछ पल गए और साल गया |
पल पल के मिलने से ये कल, इक पल की कीमत सिखा गया |

4.

आजकल बैठकर नहीं दिल बहलते हैं ।
जिसको देखने को पल पल मचलते हैं ।
वो भी अपने घर से कम निकलते हैं ।
छोड़ो यार चलो इतिहास में चलते हैं ।

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