कल्दा पठार, विन्ध्य पर्वतमाला का वृहद वनाच्छादित क्षेत्र है। यह जैवविविधता की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध क्षेत्र है, यहां पेड़-पौधों एवं जीव-जंतुओं की अनेक संकटग्रस्त एवं दुर्लभ प्रजातियां विद्यमान हैं इसकी समृद्धता को देख मेरे मन में भी लालच उत्पन्न हो गया और लालचवश मैंने लगभग सैकड़ा भर पक्षियों के चित्र अपने कैद करके संकलित किया जो आपके सामने है। किसी भी क्षेत्र की जैवविविधता वहां के स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र का परिचायक होती है और अगर एक ही वर्ग (पक्षी वर्ग) में सभी खाद्य स्तर देखने को मिलें तो विविधता में चार चांद लग जाते हैं। मुझे इस संकलन में शाकाहारी, मांसाहारी, उच्च मांसाहारी एवं सर्वाहारी सभी प्रकार के पक्षियों को समेटने का सुखद अवसर प्रकृति द्वारा दिया गया है। पक्षियों की विविधता से एक स्वस्थ पर्यावरण का आंकलन किया जाता है क्योंकि पक्षी विभिन्न रूपों में पारिस्थितिक तंत्र में सहयोग करते हैं ये प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों रूम में लाभदायक होते हैं। कीटभक्षी पक्षी कीटों की आबादी पर नियंत्रण रखकर पेड़ पौधा एवं फसलों को नुकसान होने से बचाते हैं, कई पक्षी फूलों के परागण में महत्वपूर्...
उसकी सादगी देख दिल मेरा दिवाना भी तो है, दिल को रिझाता लवों का खिल जाना भी तो है, वो जब भी निकले, कोशिश करता हूं मैं दिखूं, क्योंकि, उससे अपना अजनबीपन हटाना भी तो है । ये हल्का सा सँवरना उसका कातिलाना भी तो है, मुस्कुराकर होले से पलकों का झुकाना भी तो है, मुझे देख कर मुस्कुराती, या आदत है उसकी, वीरू, जरा गौर करके पता लगाना भी तो है । उसके नैन मेरी नजरों का ठिकाना भी तो है, पर नजरें उससे सरेआम चुराना भी तो है, चाहकर भी सड़क पर उसे देख मुस्कुराते नहीं, क्योंकि, हम दोनों की नजरों के बीच जमाना भी तो है । मुझे मोहब्बत है उसको ये जताना भी तो है, बात ये अखबारी दुनिया से छिपाना भी तो है, मेरे घर के आंगन से दिखता नहीं है छत उसका, पर, मुहल्ले में उसके मेरा सगा याराना भी तो है । सामने से उसके घर के रोज गुजरता भी तो हूं, मिलती है सामने बात करने से डरता भी तो हूं, जानता हूं मुहल्ले का हर शख्स फिदा है उस पर, इशारों से प्यार उससे बयां करता भी तो हूं । ~वीर
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