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Showing posts from January, 2019

माफी, मेरा जन्मदिन, युवा दिवस

मेरे कुछ मुक्तक... माफी मेरी सारी गल्तियों को माफ करना मित्र, बीता हुआ भूलकर दिल साफ करना मित्र, हम तो माफी माँगने के काबिल भी नहीं है, आप ही छोटा समझकर माफ करना मित्र । वीर वन विद्यालय शिवपुरी... जन्मदिन विशेष है धन्यवाद उनको जो, लहर खुशी की लाए ।  था उनको आलस्य, या हिय से थे हर्षाए । था नींद का कहर , या खुद को रोक न पाए । कि जन्मदिवस भी वक्त से पहले सभी मनाए । युवा दिवस मिलाकर वेद और विज्ञान, अब विद्वान‌ होना है । हमारे वेद वो उरजा, जिनसे विज्ञान सोना है । जरूरी है हमें विज्ञान, ये स्वीकार करते हैं । स्वयं को साधने बावत यहां पुरुषार्थ बोना है । अखिल बदलाव की शक्ति सदा ख़ुद में संजोना है । भटकने और भटकाने का, ये दुर्भाव  घिनौना  है । रखो उम्मीद पाने लक्ष्य, पर हो धैर्य भी वीरों । युवाओं जोश में रहना है पर न होश खोना है ।

नारी सशक्तीकरण महिमा

चार नारियों को जीवन में, जिस नर ने भी नमन किया | उस नर ने जीवन की अपने, सार्थकता पर अमल किया | इक नार है वो निज कोख से जो, तुमको धरनी पे जनम दिया | इक नार है वो जो साथ में जन्मी, साथ में ही कृंदन किया | इक नार है वो जिसने धरनी पर, तुम्हरे खातिर जनम लिया| इक नार है वो जो अंश तुम्हारी, बनकर तुमको सफल किया |

दिल्ली पब्लिक स्कूल बस दुर्घटना

 मासूमों को श्रद्धांजली Jan 06, 2018 06:00 😥उनकी माँ ने भी कितने सपने गढ़े होंगे | पिता उनके लिए किस-किस से लड़े होंगे | वो भी कुछ करने को अड़े होंगे | उसी की ताक में वे बस में चढ़े होंगे | कुछ आशादीप बनकर आए थे जमीं पर, किसने सोचा था कि यूँ बुझकर, आँख बंद किए वो पड़े होंगे | 😥😪 वीर

पद्मावत पर प्रतिक्रिया

Untitled Jan 29, 2018 11:15 सदा रहेगा मेवाड़ की धरा का सम्मान | धन्य है #मेवाड़ी-राजपूती आन, बान, शान | धन्य है #माँ_पद्मिनी का गौरव & स्वाभिमान | धन्य है #राजपूती_वीरों का अतुल बलिदान | धन्य है पूज्यनीय #महाराजा_रावल_रतनसिंह, अतुल शौर्य पराक्रम, जो #उसूलों_पे_कुर्बान | धन्य है #महावीर_गौरा-बादल की स्वामिभक्ति, जिनके शौर्य पराक्रम का न कर सकें बखान |

वो अबला क्यों ?

मेरी कलम से... Nov 05, 2017 06:00 ज़रा सोचिए... Veer ~ The Winner जब कोई हमारा अपना, खुद की जिंदगी के फैसले बिना हमारी सहमति के कोई फैसला लेता है, तो हमें कितना बुरा लगता है, गुस्सा आता है | परंतु क्या आपने कभी सोचा ??? कि जब हम हमारे किसी अपने की जिंदगी के फैसले, बिना उसकी सहमति के लेते हैं तो उसे कितना बुरा लगता होगा, कितना गुस्सा आता होगा | अगर कोई गलती करता है तो उसे सजा देनी चाहिए, या गलती सुधारने का अवसर | कम से कम एक बार तो गलती सुधारने का अवसर देना चाहिए... कम से कम ऐसी सजा तो न देनी चाहिए कि वो गलती सुधार ही न सके | यहाँ मैं दुनिया की उस आधी आबादी के संदर्भ में बात कर रहा हूँ जिसे आज भी अपनी जिंदगी के बारे में निर्णय लेने की आजादी नहीं है | Veer ~ The Winner

जन्मदिन, प्रेरणास्रोत, गांव की महिमा

मेरे मुक्तक काव्य 1. जन्मदिन काव्य आप है चांद वो जो सितारे गढ़े । लिखो वो इबारत जो दुनिया पढ़े । वीर करता मुबारक जन्मदिन तुम्हें । आप की ख्याति जन्मों जनम तक बढ़े । वीर 2. प्रेरणा दायक... दीपक के संघर्ष से उसकी ज्योत है, वो परहित की भावना से ओतप्रोत है, हम क्यों तलाशें काल्पनिक किरदार जग मे, जब सम्मुख आप जैसे प्रेरणास्रोत हैं । वीर 3. गांव की महिमा... मेरा गांव मुझे बहुत भाता है ।  क्योंकि यहां दिखावा नहीं आता है ।  शहरी अपनी 1 लाख की बुलेट पर इतराता है,  मेरा गांव 10 लाख के ट्रैक्टर में चारा लाता है । 4. शहर की छांव मुझको सताती रही, गांव की शाम मुझको बुलाती रही । चांद की धूप मुझको जगाती रही, थपकियां दे दे निंदिया सुलाती रही । ~वीर 5. प्रेरणा दायक... ये दुनिया तुझमें रुसवाई कितनी है ? ओ समुन्दर तेरी गहराई कितनी है ? ये वीर सारी हदें पार करने की जिद पर है , ये आसमां बता तेरी ऊंचाई कितनी है ? ~वीर #VeerTheWinner

दशहरा...

1. तजकर नफरतें दिल से, परचम-ए-प्रीत लहराएं । लगाकर शत्रु को सीने, चलो अब मीत हो जाएं । दमनकर जग में कुंठा, ईर्ष्या, और आज के रावण । बनकर वीर अच्छे की, बुरे पर जीत करवाएं । वीर

ऐसे हम हैं

नरम भी हैं हम, और गरम भी हैं हम । भाग्य भी हैं हम, और करम भी हैं हम । चोट भी करते हैं, पर मरहम भी हैं हम । लाज भी रखते हैं, पर बेशरम भी हैं हम । हद जो पार की , तो बेरहम भी हैं हम । सच जो दबे अगर, तो भरम भी हैं हम । सीमित रहते हैं, मगर चरम भी हैं हम । हम वीर हैं, धीर हैं, और धरम भी हैं हम ।                   ~वीर

मेरे मुक्तक ....2

मुक्तक काव्य 2. चाहो बचना अगर सांच के अकाल से । मन प्रतिज्ञा धरो सब अभी हाल से । हो हमारा करम सत्य के साथ में , कुछ नया हम करें इस नए साल से । 3. नया है पल, और नया है कल, और नया आज कहलाएगा | पल पल के गुजरे के जाने से फिर, नया कैलेण्डर आएगा | इक पल गया, दो पल गए, कुछ पल गए और साल गया | पल पल के मिलने से ये कल, इक पल की कीमत सिखा गया | 4. आजकल बैठकर नहीं दिल बहलते हैं । जिसको देखने को पल पल मचलते हैं । वो भी अपने घर से कम निकलते हैं । छोड़ो यार चलो इतिहास में चलते हैं ।