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कल्दा क्षेत्र के पक्षी - वनरक्षक वीरेन्द्र पटेल Birds of Kalda Region

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कल्दा पठार, विन्ध्य पर्वतमाला का वृहद वनाच्छादित क्षेत्र है। यह जैवविविधता की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध क्षेत्र है, यहां पेड़-पौधों एवं जीव-जंतुओं की अनेक संकटग्रस्त एवं दुर्लभ प्रजातियां विद्यमान हैं इसकी समृद्धता को देख मेरे मन में भी लालच उत्पन्न हो गया और लालचवश मैंने लगभग सैकड़ा भर पक्षियों के चित्र अपने कैद करके संकलित किया जो आपके सामने है। किसी भी क्षेत्र की जैवविविधता वहां के स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र का परिचायक होती है और अगर एक ही वर्ग (पक्षी वर्ग) में सभी खाद्य स्तर देखने को मिलें तो विविधता में चार चांद लग जाते हैं। मुझे इस संकलन में शाकाहारी, मांसाहारी, उच्च मांसाहारी एवं सर्वाहारी सभी प्रकार के पक्षियों को समेटने का सुखद अवसर प्रकृति द्वारा दिया गया है। पक्षियों की विविधता से एक स्वस्थ पर्यावरण का आंकलन किया जाता है क्योंकि पक्षी विभिन्न रूपों में पारिस्थितिक तंत्र में सहयोग करते हैं ये प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों रूम में लाभदायक होते हैं। कीटभक्षी पक्षी कीटों की आबादी पर नियंत्रण रखकर पेड़ पौधा एवं फसलों को नुकसान होने से बचाते हैं, कई पक्षी फूलों के परागण में महत्वपूर्...

नज़रों के बीच जमाना भी तो है

 उसकी सादगी देख दिल मेरा दिवाना भी तो है, दिल को रिझाता लवों का खिल जाना भी तो है, वो जब भी निकले, कोशिश करता हूं मैं दिखूं, क्योंकि, उससे अपना अजनबीपन हटाना भी तो है । ये हल्का सा सँवरना उसका कातिलाना भी तो है, मुस्कुराकर होले से पलकों का झुकाना भी तो है, मुझे देख कर मुस्कुराती, या आदत है उसकी, वीरू, जरा गौर करके पता लगाना भी तो है ।   उसके नैन मेरी नजरों का ठिकाना भी तो है, पर नजरें उससे सरेआम चुराना भी तो है, चाहकर भी सड़क पर उसे देख मुस्कुराते नहीं, क्योंकि, हम दोनों की नजरों के बीच जमाना भी तो है । मुझे मोहब्बत है उसको ये जताना भी तो है, बात ये अखबारी दुनिया से छिपाना भी तो है, मेरे घर के आंगन से दिखता नहीं है छत उसका, पर, मुहल्ले में उसके मेरा सगा याराना भी तो है । सामने से उसके घर के रोज गुजरता भी तो हूं, मिलती है सामने बात करने से डरता भी तो हूं, जानता हूं मुहल्ले का हर शख्स फिदा है उस पर, इशारों से प्यार उससे बयां करता भी तो हूं । ~वीर

Unconditional love

 दीप में सूर्य जैसा जोश नहीं होता, होठ हों बंद दिल खामोश नहीं होता, देने को तो दुनिया में प्यार सभी दे सकते हैं, पर मां न दे प्यार तो संतोष नहीं होता । रावेन्द्र 'रॉबिन'

वन शहीद

वन शहीद दिवस  कैसी सर्दी, कैसी गर्मी, क्या है दिन और क्या है रात । दुपहर वाली लगी आग या, तूफानों वाली बरसात । जंगल है परिवार हमारा, मन में यही विचार लिए । वन्य प्राणियों और वृक्षों को, खुद से ज्यादा प्यार किए । जगत की सांसों की रक्षा में, तन मन धन सब वार दिए । तनिक भी न वे घबराए ,और निज जीवन न्यौछार किए । वंदन नमन है वीरों को जो हँसकर जान लुटाते हैं । सदा के लिए अमर 'वीर' वो वन शहीद कहलाते हैं ।

कोरोना

 सुनो प्यारे हमें घर में ही रह सौगात देना है । सारे जग में संकट है, देश का साथ देना है । कोरोना राक्षस अब रूप है विकराल ले बैठा, ले संकल्प दृढ़ सब वायरस को मात देना है । ~वीर जब भी गहराता संकट, मंडराती है विपदा भारी । देशसेवा में सदा अडिग हो डटे हैं हम वर्दीधारी । आज काल ने चक्र है बदला, आई कोरोना महामारी । भूख_प्यास को भूल, नींद तक न लेते हम वर्दीधारी । ~वीर #police #poem #kavita #veer #vardiwala #corona #shayari #kavita

युवा चेतावनी

 उनके मत्थे चढ़े हैं ज्यादा गुमान पर,  आजकल रहने लगे हैं आसमान पर,  शायद भूले हैं अपनी ऊंची उड़ान पर , पानी फेर रहे हैं युवाओं के अरमान पर , आओ वोटशक्ति का तीर मारें सब मिलजुल  तभी युवाश्राप लगेगा हुक्मरान पर ।  By  @VeerTheWinner चेतावनी हुआ आभास मुझको, खोकर तुम सब होश बैठे हो, क्या तुम्हें इश्क का खटका है क्यूँ खामोश बैठे हो, जब तुम्हें बरबाद करने पर तुले, खाली वादों वाले, तो क्यों शासन के भय के नशे में हो मदहोश बैठे हो | वीर

मां पापा

 आपकी तारीफ़ में सिर्फ इतना ही कलम को चला पाता हूं । आपके चरणों में जितना झुकता हूं, खुद को उतना ऊंचे पाता हूं । ~वीरेन्द्र पटेल 'वीर' मां पिता की छाप पड़ी मुझपर, अब इनसे अलग मैं कैसे दिखूं । जिसने मुझको कलम के लायक बनाया, उन मां पिता तारीफ मैं कैसे लिखूं । ~वीर प्रथम गुरु मां होत है, दूजे पितृ को मान । जिससे भी सीखा तनिक, वे सब गुरु समान ।