मां पापा
आपकी तारीफ़ में सिर्फ इतना ही कलम को चला पाता हूं ।
आपके चरणों में जितना झुकता हूं, खुद को उतना ऊंचे पाता हूं ।
~वीरेन्द्र पटेल 'वीर'
मां पिता की छाप पड़ी मुझपर,
अब इनसे अलग मैं कैसे दिखूं ।
जिसने मुझको कलम के लायक बनाया,
उन मां पिता तारीफ मैं कैसे लिखूं ।
~वीर
प्रथम गुरु मां होत है, दूजे पितृ को मान ।
जिससे भी सीखा तनिक, वे सब गुरु समान ।
Comments
Post a Comment