पृथ्वी दिवस विशेष...



1.
ये वसुधा जगत जननी सकल पालनहार है ।
इसकी शुभ गोद में जीवन का आधार है ।
इससे ही पाते सब जल और आहार है ।
है जानते इससे सकल जग का उद्धार है ।
ये मां है जो बरसाती ममता अपार है ।
कुछ दैत्य फिर भी इसपे करते प्रहार है ।
फिर भी ये तजे नहीं मां का सदाचार है ।
सच में धरती मां की महिमा अपरम्पार है ।
~वीर

2.
मां वसुंधरा है समदर्शी, सब प्राणी इसके चहेते हैं ।
जल-जन्तु-जीव-पेड़-पक्षी, आदि सब इसके बेटे हैं ।
ये मां है जो हम सब बेटों को, गोद में अपनी समेटे है ।
धन्य है हम जो हरित गोद में, सुखद शांति से लेटे हैं ।

हरियाली है गहना इसका, इससे सब संसारा है ।
मनुज ही हैं वो रावण जिसने इन वृक्षों को मारा है ।
जंगल से ही जल पाएं हम, जल जीवन आधारा है ।
क्यों लालच करके हमने निज मां का गोद उजारा है ।

मां का आंचल रक्षित करने, मां ने हमें पुकारा है ।
गर न हो ये वन और नदियां, न अस्तित्व हमारा है ।
नहीं कोई ग्रह धरती मां सम, केवल एक सहारा है ।
वृक्ष लगा वसुधा को बचाएं, यह कर्तव्य हमारा है ।
~ वीर ।
विश्व पृथ्वी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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